Saturday 9 February 2019

चुनारगढ़ किले में स्तिथ वारेन हेस्टिंग का बंगला | Waren Hasting Banglow

चुनार किले में स्तिथ बन्दीगृह से थोड़ा आगे बढ़ने पर वारेन हेस्टिंग के समय का 1873 में बना एक बंगला भी है जो सन,1781 ई.में महाराजा चेतसिंह का अंग्रेजो से जो संघर्ष हुआ उसमे चेतसिंह द्वारा पराजित होने पर वारेन हेसन्टिंग चुनार भाग कर आया था और उसने इसी लाल बंगले में शरण ली थी जिसे शीशमहल के नाम से भी जाना जाता है




अभी तक बनारस में यह कहावत कहा जाता है की -

घोड़े पर हौदा, हाथी पर जिंग ।
घबरा कर भागा वारेन हेस्टिंग ।।


इन सब प्रसादों तथा ऐतिहासिक स्थानों के अतिरिक्त अनेको अन्य भवन भी इस चुनार किले में उपस्तिथ है जो जो इस किले को प्राचीनतम काल को प्रमाणित करते है सन,1857 ई. के ग़दर के समय यह दुर्ग नागरिको का आश्रय स्थल बना हुआ था वाराणसी तथा मिर्जापुर मार्ग पर यह मध्य में स्तिथ है तथा हावड़ा -दिल्ली रेल मार्ग से भी यह जुड़ा हुआ है।





परन्तु बदलते हुए समय एवं प्रकृतिक की मार को निरन्तर झेलने के बाद आज इन प्राचीन इमारतों व ऐतिहासिक धरोहरों का शरक्षणं या कोई देखरेख न होने के कारण ज्यादातर इमारते खण्डहरों में परिवर्तित होते जा रहे है


 सालो से सिर्फ पेपर में इस किले की शरक्षण हेतु बजट पास होते रहते है लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नही दिखता इसलिए मेरा आप सभी से निवेदन है की अगर आपलोगो को इस तरह के पोस्ट पसन्द आते है तो शेयर करना न भूलिए जिससे की ज्यादा से ज्यादा लोगो तक यह जानकारी पहुचे और इस तरह के ऐतिहासिक धरोहरों के शरक्षणं हेतु हमारी सरकारे कोई पहल करे।

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