Tuesday 26 February 2019

Chunar Fort Creation Date & History

भागवत पुराण के अनुसार महाभारत काल में विन्ध्यक्षेत्र पर दानव जाति के करुष वंश का साम्राज्य था, जो महाभारत काल के यादव साम्राज्य के राजा शिशुपाल के अधीन था। जिनकी राजधानी दतिया आज के मध्यप्रदेश में स्थापित थी। चुनार का ऐतिहासिक किला इसी कालखंड में निर्मित हुआ।

चुनार में गंगा के पावन तट पर एक ऊंची सी पहाड़ी जिसका नाम चरणाद्रि पर्वत है, उस पर बना चुनार का दुर्ग स्थापत्यकला का बेजोड़ नमूना है। इतिहासकार की माने तो इस दुर्ग का निर्माण लगभग 6000 वर्ष पूर्व करुष वंश के दैत्यों द्वारा कराया गया था, करुष साम्राज्य महाभारत कालीन जरासंध के अधीन था।




यदि अनुश्रुतियों को प्रमाण माना जाए तो मगध नरेश जरासंध ने इस दुर्ग में 10 हजार राजाओं को कैद कर रखा था। अपनी मजबूती और विशिष्ट स्थिति के कारण यह दुर्ग शासकों को अत्यंत प्रिय रहा। दुर्ग के भीतर की इमारतें कई काल खंडों में निर्मित हैं।



हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश कालखण्डों के साक्ष्य तो एकदम स्पष्ट हैं। इस दुर्ग में लगी सूची के अनुसार पहला शासक विक्रमादित्य है जो 56ईसा पूर्व में था। इस दुर्ग में विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भृतहरि की समाधि है। इसके बाद लंबे समय तक इस पर किसी के शासन के कोई निशान नहीं। पुन: 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान और ज्वाला सेन उसके बाद सहाबुद्दीन गौरी का आधिपत्य चुनार दुर्ग पर रहा।



सन 1333 में चुनार दुर्ग पर स्वामी राजा का आधिपत्य रहा। दुर्ग में एक विवाह मंडप बना हुआ है जो स्वामी राजा की पुत्री सोनवा के विवाह के लिए निर्मित हुआ था। किन्तु सोनवा ने अपने पिता की मर्जी के विरुद्ध प्रसिद्ध योद्धा आल्हा से प्रेमविवाह किया। इस प्रकार सोनवा मंडप कभी प्रयोग में नहीं आ सका।


1440 के बाद चुनार दुर्ग पर मोहम्मद शाह, सिकंदर लोदी, बाबर, शेरशाह सूरी, हुमायूं, इस्लामशाह से लेकर अकबर तक का शासन रहा। उसके बाद भारत की आजादी के पहले तक यह अंग्रेजों की अधीन रहा। चुनार दुर्ग में विभिन्न राजाओं के स्मृति चिह्न हैं जिसमें मुगल काल का बना डाक बंगला है इसके सामने ब्रिटिश काल की एक सूर्य घड़ी बनी है जो सूर्य के आधार पर समय बताती है। चुनार दुर्ग में एक 28 फीट व्यास की 132 फीट गहरी बावली जिसमें नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी है। इस दुर्ग में एक पश्चिमी दरवाजा है जो जल द्वार के नाम से जाना जाता है

जिसका निर्माण अकबर ने 1586 में कराया था। दुर्ग के अंदर ही जहांगीर का भवन भी है जहां अभिलेख लगा है इसे बाकी बेग ने 1016 हिजरी में बनवाया था।

इस तरह से चुनार दुर्ग अपने वर्तमान स्वरूप में महाभारत काल से लेकर आज तक की संस्कृतियों एवं घटनाओं का साक्षी है। यद्यपि मध्य काल से पूर्व के साक्ष्य आंशिक ही है।
#ChunarFort

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