ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रशासन की पहल से चुनार नगर में सांस्कृतिक 'चुनार महोत्सव' मनाया जा रहा है। हमारी संस्कृति व उसकी चेतना का प्रतिफल ही यह 'चुनार महोत्सव' है जो 7 से 9 जुलाई 2023 तक आयोजित किया गया है। अभी चुनार में तीन दिवसीय 'चुनार महोत्सव' चल रहा है ।
यह केवल महोत्सव नहीं बल्कि चुनार के इतिहास का एक मजबूत नया अध्याय है।
आज से पहले चुनार एक ऐतिहासिक शहर था जो शासन व सत्ता सबकी निगाहों में उपेक्षित शहर था। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा।
चुनार के स्वर्णिम इतिहास को स्मरण कर हमारे जिले की यशस्विनी विदुषी जिलाधिकारी महोदया श्रीमती दिव्या मित्तल मैंम ने आज एक ऐतिहासिक कार्य किया है।
यह मिर्ज़ापुर के प्रति उनका लगाव ही है जो आज सम्पूर्ण मिर्ज़ापुर में दिखाई दे रहा है। श्रीमती दिव्या मित्तल जी द्वारा किये गए कार्यों के बारे में अक्सर पढ़ता था।
आज उनके पहल को नजदीक से देखने का अवसर एक ऐसे ऐतिहासिक क्षण में प्राप्त हुआ जब पहली बार शासन द्वारा उनके प्रयासों से चुनार शहर में 'चुनार महोत्सव' मनाया जा रहा है।
आज उनके उत्साह को देखकर लगा मानो मिर्ज़ापुर के उद्धार के लिए स्वयं विंध्यवासिनी देवी द्वारा किसी शक्ति को भेजा गया हो।
प्रशासक आते हैं और अपना कार्य कर के चले जाते हैं। इतिहास के पन्नों में नाम केवल ऐतिहासिक कार्य करने वालों का दर्ज होता है।
दिव्या मित्तल महोदया ने चुनार के इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। जिसके लिए आपका नाम चुनार के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
इस सफल आयोजन के लिए आपको तहे दिल से साधुवाद! इस प्रकार का ऐतिहासिक कार्यक्रम अकेले का नहीं है आपके साथ सभी प्रशासन मंडली एसडीएम चुनार नवनीत सेहरा, डिप्टी कलेक्टर नीरज पटेल, जिला पर्यटन अधिकारी, उप जिला पर्यटन अधिकारी नवीन सिंह, नगरपालिका परिषद चेयरमैन मंसूर अहमद के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों का चुनार की जनता आभारी रहेगा।
आपके कार्यों की प्रशंसा केवल यह लेख नहीं बल्कि पूरा मिर्ज़ापुर आज कर रहा है। यह पहला अवसर है जब तथाकथित लोकप्रिय जननेताओं की जगह किसी प्रशासक का नाम लिया जा रहा है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं कि 'चुनार महोत्सव' एक पूर्ण कार्यक्रम है लेकिन 'चुनार महोत्सव' निश्चित रूप से एक प्रासंगिक पहल जरूर है। 'चुनार महोत्सव' केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ही नहीं बल्कि चुनार की गरिमामयी अतीत का एक सारगर्भित निचोड़ है।
इस महोत्सव के माध्यम से जिले की विलुप्त हो रही लोक नृत्य, गायनों, परंपराओं, इतिहास एवं कला को पुनर्जीवित करने का सराहनीय कार्य किया गया है।
महोत्सव का सम्मानित मंच लोक कलाकारों, साहित्यकारों एवं युवाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का भरपुर अवसर प्रदान कर रहा है। निश्चित रूप से इसमें सरकार की स्वीकृति एवं परामर्श लिया गया होगा। लेकिन ऐसे सराहनीय कदम व सार्थक प्रयास के लिए जिलाधिकारी महोदया का चुनारी की जनता आभारी रहेगा।
इस कार्यक्रम की रूपरेखा कुछ इस प्रकार है कि चुनार स्वयं अपने प्राचीन ऐतिहासिक गौरव और ख्याति को बतला रहा है। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोकनृत्यों मणिपुर, आसाम, मिजोरम और राजस्थान के साथ ही मिर्ज़ापुरी ''कजरी' और मूल लोक नृत्य 'चौलर' का समायोजन आपको दिखाई देगा।
सुरभि शोध संस्थान के छात्रों द्वारा राज्यों के विभिन्न नृत्यों का मनोरम प्रस्तुति अद्भुत रहा। कार्यक्रम में लोक बिरहा, लोक कजरी, दादरा एवं कथक का नृत्य बड़ा मनोरम हो रहा है। कार्यक्रम की रूपरेखा कुछ इस प्रकार है कि औपचारिक समाप्ति पर एक 'लेजर शो' के माध्यम से चुनार की गौरवशाली इतिहास का परिचय स्वयं चुनार के द्वारा दिया जा रहा है।
चुनार की जनता का उत्साह व उनके मध्य चल रहे संवाद में जिला प्रशासन की तारीफ़ वास्तव में प्रसंसनीय है। इस कार्यक्रम को देखते हुए नगर में चारों ओर नगरपालिका चुनार के सहयोग से सुंदर माहौल बनाया गया है। चुनार के प्राचीन ऐतिहासिक किले को फूलों और रंगीन झालरों से बखूबी सजाया गया है।
चुनार किले के अंदर 'सोनवा मंडप' 'सोनवा कुआँ' एवं भर्तिहरी समाधि को भी सजाया गया है।
इस कार्यक्रम की गूंज विभिन्न सोशल प्लेटफार्म और फेसबुक पेज 'चुनार क्लब' 'ऐतिहासिक नगर चुनार' और 'चुनार' के माध्यम से चुनार के बाहर रहने वाले देश-विदेश के चुनार प्रेमियों तक पहुंच रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनार की चर्चा आज सभी चौपालों पर सुनाई दे रहा है।
नगर की उत्साहित जनता इस कार्यक्रम में लगे लोक कलाओं के प्रदर्शनी में बढ़- चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। निश्चित रूप से ऋषियों की इस तपोभूमि चुनार का यह कार्यक्रम अपनी सफलता को प्रतिलक्षित कर रहा है। उम्मीद है ऐसे ऐतिहासिक कार्यक्रम अब लगातार चुनार में होता रहेगा।
Credits : प्रवीण वशिष्ठ
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