Monday 11 September 2017

मिर्जापुर और चुनार के भित्तिचित्र | Mirzapur Chunar Mural Paintings

पूर्वांचल की गौरवशाली धरती पर नदी किनारे बसे मीरजापुर जिले में प्राचीन सभ्यता के अवशेष भित्ति चित्र आज भी पहाड़ों पर लोगो को आकर्षित करते है पर अपनी सभ्यता के चिन्हों के संरक्षण को लेकर प्रदेश व भारत सरकार उदासीन है |

मध्य पाषण काल के मानव के आयवरी जीवन को दर्शा रहे भित्ती चित्र का वर्णन अभी तक इतिहास के पन्नों में दर्ज नही हो सका है | इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन जिले में मानव सभ्यता के विकास की अमिट छाप में छिपा है भारत का प्राचीन गौरवशाली इतिहास जिसको संरक्षण देने के साथ ही | जरूरत क्षेत्र में दफ़न इतिहास को खोजने की है |


मीरजापुर मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर पहाड़ी विकास खंड के मदनपुरा ग्राम में विन्ध्य पहाड़ी श्रृंखला में मध्य पाषण काल के मानव के आयवरी जीवन को दर्शा रहे भित्ती चित्र मौजूद हैं | गाढ़े लाल रंग से बने इन चित्रों में एक आदि मानव जहाँ मन्त्रों से जानवरों को वशीभूत कर रहा हैं


वहीँ दूसरे आदि मानव हांका लगाकर जानवरों को एकत्र कर रहे हैं | कई पीढ़ियों से इन चित्रों को देखते आ रहे स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा शादी विवाह पड़ने पर इसका पूजन किया जाता है और बड़ा सम्मान किया जाता है | मौसम की मार और दरकती चट्टानों के साथ चल रहे पत्थर खनन से इनके अस्तित्व को खतरा उत्त्पन्न हो गया है | 


मानव सभ्यता के गौरवशाली इतिहास को बयाँ कर रहे इन भित्ती चित्रों को लेकर ग्रामीण चिंतित है उनका कहना है कि शासन-प्रशासन को इनके संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी अपने विकास के इतिहास को देख सके |


मानव सभ्यता के इतिहास को समेटे विन्ध्य पर्वत श्रृंखला पर मिलने वाले भित्ती चित्रों को कई पुरातत्ववेत्ता व इतिहासकारों ने अपनी किताबों में उल्लेख किया है | पुरातत्वविद मनोरंजन घोष ने विन्ध्य पर्वत श्रृंखला पर मिलने वाले भित्ती चित्रों का अध्यन किया और उनका उल्लेख किया है पर यह चित्र उनसे बिलकुल भिन्न है |


 इस भित्ती चित्र में मध्य पाषण काल के मानव द्वारा हांका कर शिकार के लिए जानवरों को एकत्र करने व मन्त्रों से वशीकरण करने का दृश्य है | मीरजापुर के मदनपुरा गाँव के पहाड़ पर बना एक नवीन ऐतिहासिक भित्ति चित्र है जो शोध करने पर मानवीय विकास के क्षेत्र में एक नए इतिहास को जन्म दे सकता है |



यह मानना है के.बी.महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास के प्रवक्ता डॉ इन्दूभूषण द्विवेदी का | मध्य पाषण काल के मानव गौरवशाली इतिहास बता रहे भित्ती चित्रों को समय रहते संरक्षण नही मिला तो आने वाले समय में यह केवल किताबों के पन्नों तक ही सिमट कर रह जायेगा |


 पूर्वांचल की धरती में दफ़न इतिहास को खंगाल कर नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने की जरूरत है पर ऐतिहासिक संपदा को समेटे पहाड़ो पर खनन से इसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है |

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